धन्यवाद शब्द कहना हमारी आदत में सम्मिलित हो गया है , परंतु आभार , कृतज्ञता , एहसान आदि ऐसे खूबसूरत शब्द हैं , जिनके अर्थ गहरे होते हैं । इसका अनुभव हम अपने रोजमर्रा के जीवन में करते हैं । इन शब्दों को , इनसे जुड़ी भावनाओं को जब हम अपने जीवन में , अपने कार्यों में उतारते हैं तब ये न सिर्फ हमारे व्यक्तित्व को गौरव प्रदान करते हैं , बल्कि दूसरों को भी खुशी प्रदान करते हैं ।
आभार एक भावना है|
आभार एक ऐसी भावना है , जो जरूरत के वक्त सहायता मिलने के बाद लोगों के बीच उत्पन्न होती है । कृतज्ञता का अनुभव विशेष रूप से तब होता है , जब सहायता प्राप्त करने वाले व्यक्ति को सहायता मूल्यवान लगती है । विनम्रतापूर्ण व्यवहार से एहसानमंद होने का एहसास पैदा होता है ।
यह दूसरों के प्रति अपनाए गए हमारे दृष्टिकोण से व्यक्त होता है और हमारे व्यवहार में झलकता है । एहसान का मतलब किसी अच्छाई का एहसान चुकाना नहीं है क्योंकि एहसान सिर्फ लेन - देन नहीं है । एहसानमंद होने का एहसास हमें आपसी सहयोग और एकदूसरे के प्रति समझ की कला सिखाता है । एहसानमंद होने के एहसास में ईमानदारी होनी चाहिए ।
सीधे - सरल शब्दों में ' धन्यवाद ' कहकर भी इस भावना को दरसाया जा सकता है । अक्सर लोग अपने बहुत नजदीकी लोगों , जैसे जीवनसाथी , संबंधी , दोस्त आदि के प्रति कृतज्ञता जताना भूल जाते हैं । एक सच्चे और ईमानदार इनसान का चरित्र और व्यक्तित्व बनाने वाले गुणों में एहसानमंद या कृतज्ञ होने के एहसास का दरजा सबसे ऊँचा है , लेकिन ऐसा होने में सबसे बड़ी रुकावट अहंकार पैदा करता है ।
एहसानमंद होने का नजरिया जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण को हमेशा के लिए बदल देता है ।
एहसानमंद होने के एहसास और विनम्रता के गुणों को यदि हम अपना लेते हैं तो हमारा व्यवहार अपने आप ही सही होने लगता है ।
आंतरिक प्रगति को अवरुद्ध करने वाली प्रवृत्तियों में एक प्रमुख यह है कि अच्छी चीजों का श्रेय व्यक्ति खुद लेना चाहता है और बुरी चीजों के लिए दूसरों पर दोषारोपण करता है । ऐसा इसलिए होता है ; क्योंकि व्यक्ति अपनी नाकामी एवं असफलता से बचने की कोशिश करता रहता है । वह हमेशा परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराता है और अपने लक्ष्य से दूर भागता रहता है ।
हमें इस बात को समझ लेना चाहिए कि जब हम कामयाबी के लिए अपने आप को बधाई का पात्र मानते हैं । तो फिर नाकामी की स्थिति में ऐसा क्यों नहीं करते ? हमें अच्छी चीजों का श्रेय दूसरों को देना चाहिए और उनकी खामियों की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए । अपनी तरक्की में दूसरों का योगदान स्वीकारना ही बड़प्पन है । ऐसा तब होता है , जब हम अपनी स्थिति से संतुष्ट हों । हम ऐसा सोचना शुरू कर देते हैं कि हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं तो यह हमारी दृढ़ता को दरसाता है । यह हमारा नकारात्मक नजरिया है , जो सकारात्मक चीजों को आने से रोकता है । कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक कृतज्ञता महसूस करते हैं ।
आध्यात्मिकता और आभार के बीच का संबंध हाल ही में हुए लोकप्रिय अध्ययन के आधार पर दिखा । इसमें पाया गया कि आध्यात्मिकता एक व्यक्ति के आभारी होने की क्षमता को बढ़ाने में सक्षम है , इसलिए वे व्यक्ति जो नियमित रूप से धार्मिक सेवाओं में भाग लेते हैं या धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहते हैं , वे जीवन के सभी क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी तरीके से आभार प्रकट कर पाते हैं ।
आभार को सभी धर्मों में समान रूप से देखा गया है । सभी धर्मों में भगवान के प्रति आभार प्रकट करके पूजा करना आम बात है । इसलिए आभार की अवधारणा सभी धार्मिक ग्रंथों , शिक्षाओं और परंपराओं में व्याप्त है । इस कारण यह आम भावनाओं में से एक है , जिसे सभी धर्म अपने अनुयायियों में उत्पन्न करना और बनाए रखना चाहते हैं । इसे सार्वभौम धार्मिक भावना माना जाता है ।
अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग अधिक आभारी होते हैं , उनका आत्मिक आनंद का स्तर उच्च होता है । आभारी लोग ज्यादा खुश , कम उदास , कम थके हुए और जीवन व सामाजिक रिश्तों से अधिक संतुष्ट होते हैं । आभारी लोगों में अपने वातावरण , व्यक्तिगत विकास , जीवन के उद्देश्य और आत्मस्वीकृति के प्रति भी नियंत्रण का स्तर उच्च होता है ।
आभारी लोगों के पास जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए अधिक सकारात्मक तरीके होते हैं ।
उन्हें अन्य लोगों से समर्थन मिलने की संभावना अधिक होती है । आभारी लोगों के पास सामना करने के लिए सकारात्मक रणनीति भी होती है । समस्या से बचने का प्रयास करने , खुद को दोष देने या लक्ष्य से हटने की संभावना कम होती है ।
आभारी लोगों को बेहतर नींद आती है ।
आभारी लोगों को बेहतर नींद आती है । ऐसा इसलिए होता है ; क्योंकि वे सोने से पहले नकारात्मक विचारों के बारे में कम और सकारात्मक विचारों के बारे में ज्यादा सोचते हैं । ऐसा कहा गया है कि आभार का किसी भी चरित्र विशेष के मानसिक स्वास्थ्य के साथ मजबूत संबंध होता है ।
कई अध्ययनों से पता चलता है कि आभारी लोगों में खुशी का स्तर अधिक और अवसाद व तनाव का स्तर कम करने की क्षमता होती है ; क्योंकि भावनाएँ व्यक्ति के कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं । यह इस बात का प्रमाण है कि आभार भी विशिष्ट रूप से महत्त्वपूर्ण हो सकता है । आभार और कल्याण के मध्य एक अद्वितीय रिश्ता होता है ।
एक बार उन लोगों को याद कीजिए , जिनका हमारे जीवन पर अच्छा असर पड़ा हो । ऐसे लोगों में हमारे माता पिता , शिक्षक या कोई भी दूसरा व्यक्ति हो सकता है , जिसने हमारी सहायता करने के लिए भरपूर समय दिया हो । देखने में शायद ऐसा लगा हो कि उन्होंने केवल अपना कर्त्तव्य निभाया है , लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है , उन्होंने हमारे लिए अपनी इच्छा से अपने समय , श्रम , संपदा आदि का नियोजन किया है । उन्होंने हमारे प्रति प्रेम के कारण ऐसा किया , न कि धन्यवाद पाने के लिए ।
किसी मोड़ पर जब व्यक्ति इस बात को महसूस करता है कि उसकी जिंदगी को सँवारने में किसने कितनी मेहनत की , शायद उन्हें धन्यवाद देने के लिए अब भी देर नहीं हुई है । आभार ऋणग्रस्तता की तरह नहीं है , जबकि दोनों भावनाएँ मदद के बाद व्यक्त की जाती हैं । ऋणग्रस्तता तब पैदा होती है , जब व्यक्ति मानने लगता है कि उसका दायित्व है कि उसे सहायता हेतु मिले मुआवजे से कुछ चुकाना भी है ; जबकि आभार प्राप्तकर्त्ता को अपने संरक्षक की तलाश करने और उनके साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए प्रेरित करता है ।
आभार प्रकट करना एक तरह से रिश्तों को सुदृढ़ करना है ।
आभार प्रकट करना एक तरह से रिश्तों को सुदृढ़ करना है । एक प्रयोग में पाया गया कि आभूषण की दुकान में ग्राहकों को बुलाकर जब धन्यवाद दिया गया तो उनकी खरीद में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई । दूसरे अध्ययन में पाया गया कि एक रेस्टोरेंट के नियमित ग्राहक सर्वर को उस समय ज्यादा बड़ी टिप देते हैं , जब सर्वर उनके चेक पर ' धन्यवाद ' लिखते हैं ।
आभार प्रकट करना हमारी शालीनता , विनम्रता एवं निरहंकारिता का प्रतीक है । अत : हमारे लिए जिसने भी , जो भी , कभी भी , कुछ भी किया हो - उसका हमें अवश्य ही आभार व्यक्त करना चाहिए ।
FAQs for आभार व्यक्त करना न भूलें
Q1. आभार कैसे प्रकट करे?
A. आप धन्यवाद बोलकर अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। यह एक साधारण प्रथा है जो हमारे समाज में उपयुक्त मानी जाती है। आप बोल सकते हैं "धन्यवाद" या "आपकी सहायता के लिए धन्यवाद" या "मैं आपकी मदद के लिए आभारी हूं" या कोई अन्य वाक्य जो आपकी भावनाओं को संवेदनशीलता से व्यक्त करता हो।
Q2. आभार में क्या लिखा जाता है?
A. आभार व्यक्त करते समय आप अपने आभार को व्यक्त कर सकते हैं और उसका कोई निश्चित रूप नहीं होता है। आप इसे आसान तरीके से व्यक्त कर सकते हैं जैसे "धन्यवाद" या "शुक्रिया" या "बहुत बहुत धन्यवाद" आदि। आप उनके लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए भी कुछ वाक्य लिख सकते हैं जैसे "आपकी सहायता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद" या "मैं आपके लिए आभारी हूं"।
Q3. धन्यवाद कैसे लिखा जाता है?
A. आप "धन्यवाद" शब्द को अपनी आभार व्यक्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसे हिंदी में अक्षरों में "धन्यवाद" लिखा जाता है। इसे अंग्रेजी में "thank you" और अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया जाता है। इसके अलावा, आप उनके लिए एक संबोधन शामिल कर सकते हैं, जैसे "धन्यवाद आपकी मदद के लिए, शुभ दिन आगे बढ़ाइए"।
Q4. आभार अभ्यास क्या है?
A. आभार अभ्यास एक मेंटल हेल्थ टूल है जो व्यक्ति के जीवन में धन्यवाद व्यक्त करने के लिए एक प्रभावी तकनीक है। यह एक प्रकार का स्वस्थ विचार का अभ्यास होता है, जिससे व्यक्ति को उन चीजों की अवगति होती है जो उसे सुखद लगती हैं और उसकी जिंदगी को सफल बनाती हैं। आभार अभ्यास का मुख्य लक्ष्य व्यक्ति को आपके साथ अच्छा महसूस कराना है। आभार अभ्यास करने से आपके विचार एवं भावनाएं सकारात्मक होते हैं जो आपकी मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम होते हैं। इसके लिए, आप धन्यवाद के लिए अपने जीवन में कुछ समय निकाल सकते हैं और सोच समझकर व्यक्तिगत वाक्य बना सकते हैं जो आप अपने परिवार, मित्रों और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
Q5. धन्यवाद कहना क्यों महत्वपूर्ण है?
A. धन्यवाद कहना एक महत्वपूर्ण सामाजिक साधारण अभ्यास है। इससे हम अपनी संवेदनशीलता व्यक्त करते हैं, दूसरों के साथ संबंधों को स्थायी बनाते हैं, उनका मनोबल बढ़ाते हैं और उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक असर डालने की समर्थता प्रदान करते हैं। धन्यवाद व्यक्त करना हमारी मानसिक स्थिति को भी सुधारता है। धन्यवाद देने से हमारी सोच में सकारात्मकता आती है, हम खुशी का अनुभव करते हैं और अपनी संवेदनशीलता को स्थायी बनाने के लिए प्रोत्साहित किए जाते हैं। इसके अलावा, धन्यवाद कहने से दूसरों के साथ संबंधों को मजबूत बनाया जाता है। यह एक संबंध को उसकी समझदारी, प्रतिस्पर्धा के भावों से दूर रखता है और सबके बीच एक शांत और समरस्त संबंध बनाता है। संक्षेप में, धन्यवाद एक समझदार और संवेदनशील समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमारे समाज में इसका महत्व बढ़ता जा रहा है।